औद्योगिक वेस्ट और सीवर का लोड नहीं होने का परिणाम इस वक्त औद्योगिक वेस्ट शून्य है। फिर, बाजार बंद होने से सीवर का लोड भी कम हुआ है। साथ ही, नदी के जल में इंसानों का दखल कम है। इससे नदी अपनी गाद को तली तक छोड़ बह रही है। इसका मिला-जुला असर साफ-सुथरे पानी के तौर पर दिख रहा है। नदी के खुद को पुनर्जीवित करने के नैसर्गिक मॉडल का भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है। नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन में कॉस्ट्रक्टिव वेटलैंड बनाकर दिल्ली में नदी की बड़ी समस्या दूर की जा सकेगी। - फैयाज खुदसर, इंचार्ज, यमुना बॉयोडायवर्सिटी पार्क।

औद्योगिक वेस्ट और सीवर का लोड नहीं होने का परिणाम


इस वक्त औद्योगिक वेस्ट शून्य है। फिर, बाजार बंद होने से सीवर का लोड भी कम हुआ है। साथ ही, नदी के जल में इंसानों का दखल कम है। इससे नदी अपनी गाद को तली तक छोड़ बह रही है। इसका मिला-जुला असर साफ-सुथरे पानी के तौर पर दिख रहा है। नदी के खुद को पुनर्जीवित करने के नैसर्गिक मॉडल का भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है। नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन में कॉस्ट्रक्टिव वेटलैंड बनाकर दिल्ली में नदी की बड़ी समस्या दूर की जा सकेगी।
- फैयाज खुदसर, इंचार्ज, यमुना बॉयोडायवर्सिटी पार्क।

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करीब एक लाख फैक्टरियां बंद, नहीं निकल रहा कचरा दिल्ली के 33 औद्योगिक क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा फैक्टरियां हैं। हालांकि यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगे हुए हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा सीधे नालों में छोड़ दिया जाता है। इससे नदी प्रदूषित होती है। इस वक्त औद्योगिक कचरा एकदम नहीं निकल रहा है। इससे नदी की सेहत बेहतर हुई है। - एसके माहेश्वरी, उद्यमी, पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया
इसके आधार पर देखा जाएगा कि लॉकडाउन का नदी की सेहत पर असर क्या रहा है। हालांकि, इस तरह की एक स्टडी बोर्ड वायु की गुणवत्ता पर पहले से कर रहा है। दूसरी तरफ, दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नदी से सैंपल लिया जाएगा। इसके आधार पर बोर्ड भविष्य में नदी को स्वच्छ रखने का खाका तैयार करेगा।
दिल्ली के मु्ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए, हम सभी मॉल (किराना, फार्मेसी और उनमें सब्जी की दुकानों को छोड़कर) को बंद कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर केंद्र व राज्य सरकारों ने लॉकडाउन के दौरान नदी के इस नैसर्गिक मॉडल को समझ लिया और उसके अनुसार योजनाएं बनाईं तो बगैर बड़े पैमाने पर मानवीय व वित्तीय संसाधन लगाए नदियों को साफ-सुथरा रखा जा सकेगा। इससे देश की बड़ी आबादी की जल संकट की समस्या भी दूर होगी।